पञ्चाङ्ग और मुहूर्त - एक परिचय
पिछले वर्ष 700 से अधिक प्रतिभागियों की उत्साहपूर्ण सहभागिता के बाद, पंचांग पाठ्यक्रम में अब मुहूर्त शास्त्र के एक नए घटक को जोड़ा गया है । यह पाठ्यक्रम पंचांग और मुहूर्त की आधारभूत समझ तथा पारंपरिक और आधुनिक दोनों संदर्भों में मुहूर्त के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की गहन ग्रहणशक्ति प्रदान करता है।
५ जून - २० जुलाई | गुरु व रवि
१४; प्रत्येक सत्र १.५ घंटे
संध्या ७:३० - ९:०० बजे
₹५५१ (+१८% जीएसटी) / $९
Indian Participants, includes 18% GST
International Participants
पाठ्यक्रम जानकारी
सभ्यता के आरम्भ से ही विश्व के प्रत्येक हिस्से में बसने वाले लोगों ने समय को मापने एवं उसे अंकित करने की अलग-अलग विधियाँ विकसित की। समय की इकाई होना इसीलिए आवश्यक था ताकि समय के परिवर्तन, विकास और क्षय को मापा जा सके। विश्व की प्राचीनतम और निश्चित रूप से सबसे उन्नत सभ्यता भारत में है। हमारे ऋषियों द्वारा समय मापने के लिए पञ्चाङ्ग का विकास किया गया। परन्तु हमारे ऋषियों की रुचि समय को मापने मात्र में ही नहीं थी। वे तो एक ऐसे विज्ञान का सृजन करना चाहते थे जिससे यह पता चल सके कि किस समय में कौन सा काम करना फलदायक सिद्ध होगा - ताकि जीवन के सभी क्षेत्रों में लोग अपने पुरुषार्थ का पूर्ण फल पा सकें और अनिष्ट से बच सकें । पञ्चाङ्ग एक हिन्दू कैलेंडर है, जो आकाश में दृश्यमान पिंडों की वास्तविक स्थिति का परिचय देने के साथ खगोल विज्ञान में ग्रहण जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं की गणना के लिए आवश्यक गणितीय बिंदुओं को उपलब्ध कराता है। "पञ्चाङ्गम्" शब्द संस्कृत से आया है, जहाँ "पञ्च" का अर्थ है पाँच और "अङ्गम्" का अर्थ है अंग या भाग। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें पाँच मुख्य अंग हैं: तिथि: चन्द्र दिवस वार: सप्ताह का दिन नक्षत्र: २७ नक्षत्रों में से एक योग: सूर्य और चन्द्रमा की विशिष्ट स्थिति से प्राप्त करण: अर्धतिथि के समतुल्य पञ्चाङ्ग का उपयोग विभिन्न गतिविधियों, त्योहारों और धार्मिक अवसरों के लिए शुभ समय निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसका परामर्श विवाह, नए उद्यम शुरू करने या अनुष्ठानों के सम्पादन जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए लिया जाता है। किसी विशेष घटना के लिए सही समय का निर्धारण मुहूर्त शास्त्र के अंतर्गत आता है। आधुनिक उपकरणों के आगमन से पहले, पञ्चाङ्ग का उपयोग सांसारिक और धार्मिक कार्यों के लिए, महत्वपूर्ण तिथियों के अतिरिक्त ग्रहणों सहित सभी खगोलीय घटनाओं की गणना और जनता को शिक्षित करने के लिए किया जाता था। पञ्चाङ्ग विशिष्ट स्थानों के लिए तैयार किया जाता है, क्योंकि गणनाएँ भौगोलिक निर्देशांकों पर निर्भर करती हैं। इसका व्यापक उपयोग भारत और विश्व भर में हिंदू समुदायों द्वारा धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। पारंपरिक रूप से समझने में जटिल होने के बाद भी पञ्चाङ्ग प्राचीन काल के हिंदुओं की जीवनशैली में अत्यंत प्रासंगिक था और लोग इसे अच्छी तरह से समझते थे। पञ्चाङ्ग के आधुनिक संस्करण ऐप्स या वेबसाइटों के रूप में उपलब्ध हैं, जो इस प्राचीन प्रणाली को आज लोगों के लिए अत्यंत सुलभ बनाते हैं। परन्तु दुःख की बात यह है कि पञ्चाङ्ग में उपलब्ध डेटा का उपयोग करने का ज्ञान वर्तमान समय में विशेष स्तर तक लुप्त हो गया है। अच्छे पढ़े लिखेव्यक्ति भी पञ्चाङ्ग देखना नहीं जानते। ७ सप्ताह और १४ वीडियो व्याख्यानों की श्रृंखला, पठन सामग्री, अभ्यास और चर्चाओं के माध्यम से यह कोर्स जिज्ञासु शिक्षार्थियों को हिंदू पञ्चाङ्ग की विधियों और समय की गुणवत्ता को समझने योग्य बना देगा। आवश्यक सामग्री: - पाठ्यक्रम विवरण (डिजिटल प्रारूप में प्रदान किए जाएंगे) - इंटरनेट कनेक्शन, एक कंप्यूटर - दृक् पञ्चाङ्ग ब्राउज़र संस्करण या मोबाइल ऐप - आपके क्षेत्र का पारंपरिक, भौतिक पञ्चाङ्ग